Why chatt puja is celebrated : छठ पूजा क्यों मनाया जाता है ? 

khojtime.com
chatt puja


Why chatt puja is celebrated छठ पूजा भारत के कई सारे राज्यों में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्यौहार है जो दिवाली के छठे दिन यानी कि कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दौरान मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में बड़े जोरो शोरों से लोग छठ पूजा को मनाते हैं। लेकिन कुछ ऐसी विराजें जहां छठ पूजा के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।

Why chatt puja is celebrated

छठ पूजा खास तौर पर सूर्य देवता की उपासना का पर्व है। इस दौरान भक्त 36 घंटे का व्रत रखते हैं। पुराणों के अनुसार छठ पूजा की शुरुआत रामायण के बाद से हो गई थी। अब ऐसा क्या हुआ था कि इस पूजा को शुरू किया गया। इसका क्या महत्व है और वह कौन सी गलती हैं जो छठ पूजा के दौरान नहीं करनी चाहिए।

इसका क्या महत्व है?

चलिए जान लेते हैं Why chatt puja is celebrated दोस्तों पुराणों के अनुसार यह कहा जाता है कि रावण का वध करके प्रभु श्रीराम और माता सीता जब अयोध्या वापस लौटे तो उन्होंने इस उपवास का पालन किया और छठ पूजा की शुरुआत रामायण के दौरान हो गई थी। कहा तो यह भी जाता है कि कर्ण जोकि सूर्य देव के पुत्र हैं वह सूर्य भगवान के परम भक्त थे और पानी में घंटों खड़े होकर सूर्य देवता को नमन करते थे।

इतना ही नहीं अपने पांचों पति पांडवों के स्वास्थ और उनकी लंबी उम्र के लिए द्रौपदी भी सूर्य देवता की उपासना करती थी। तभी तो कहते हैं कि द्रौपदी की इसी श्रद्धा और विश्वास के कारण पांडवों को अपना राज्य वापस मिल पाया था।

छठ की पूजा से जुड़ी एक और पौराणिक कहानी

Why chatt puja is celebrated : छठ पूजा क्यों मनाया जाता है ? 

Why chatt puja is celebrated छठ की पूजा से जुड़ी एक और पौराणिक कहानी प्रचलित है, जिसके अनुसार कहा जाता है कि राजा प्रियव्रत और रानी मालिनी निसंतान थे, जिस कारण वह बहुत दुखी थे। तब महर्षि कश्यप ने उन्हें पुत्र कामेश की यज्ञ करने की सलाह दी। जब उन्होंने यज्ञ किया तो महर्षि कश्यप ने परिस्थितियों को ठीक करने के लिए प्रसाद के रूप में रानी मालिनी को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। कुछ समय के पश्चात ही राजा और रानी को पुत्र की प्राप्ति हुई।

रानी ने पुत्र को जन्म दिया, लेकिन दोनों की किस्मत इतनी खराब थी कि वह बच्चा मृत अवस्था में पैदा हुआ। राजा प्रियव्रत अपने पुत्र का मरा हुआ शरीर देखकर पूरी तरह से टूट गए और जब वह अपने मरे हुए पुत्र को लेकर शमशान गए तो उन्होंने अपने प्राणों की आहुति देनी चाही। तभी उनके सामने देवसेना यानी की छठ देवी भी वहां प्रकट हुई, जिन्हें शास्त्री के नाम से जाना जाता है।

छठ देवी ने राजा को यह बताया कि अगर कोई पूरे मन से विधिवत उनकी पूजा करे तो उसके मन की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। देवी ने राजा को उनकी पूजा करने की सलाह दी, जिसे सुनकर राजा ने छठ देवी की सच्चे मन से प्रार्थना की और व्रत करके उन्हें प्रसन्न कर दिया। राजा से खुश होगा छठ देवी ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। कहा जाता है कि राजा ने जिस दिन पूजा की थी वह कार्तिक शुक्ल की श्रष्टि का दिन था और तब से लेकर आज तक यह प्रथा चलती आ रही है।

जहां आज भी लोग इस व्रत को संतान प्राप्ति और अपने घरवालों की सुख समृद्धि तथा लंबी उम्र के लिए करते हैं। दोस्तों छठ पूजा कठिन परिश्रम की तरह है जिसे हर कोई नहीं रख सकता इसलिए महिलाएं ही इस व्रत को रखती हैं। हालांकि कुछ पुरुष ऐसे भी हैं जो कि पूरे विधि विधान के साथ छठ पूजा का पालन करते हैं और व्रत रहते हैं। परन्तु अधिकतर महिलाएं ही इस व्रत को रखते हुए नजर आएंगी

छठ पूजा के चार महत्वपूर्ण दिन

Why chatt puja is celebrated दोस्तों छठ पूजा के चार महत्वपूर्ण दिन होते हैं जिसमें

पहला दिन होता है नहाय खाय। इस दिन सबसे पहले घर की सफाई करके उसे पवित्र किया जाता है। जिसके बाद व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान करके अपने आप को पवित्र करती हैं। स्नान करने के बाद शुद्ध और सात्विक भोजन करके व्रत की शुरुआत करते हैं। इस दिन चना दाल, लौकी की सब्जी रोटी के साथ खाई जाती है। पकाए खाने को सबसे पहले व्रत रखने वाली महिलाएं खाती हैं और उसके बाद घर के बाकी सदस्य खाते हैं और फिर दोस्तों आता है।

छठ पूजा का दूसरा दिन जिसे खरना कहते हैं। इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति पूरे दिन का उपवास रखते हैं जिसमें ना ही वो कुछ खाते हैं और ना ही कुछ पी सकते हैं। शाम के समय गढ़वाली खीर प्रसाद के तौर पर बनाई जाती है जिसे रसियाव खीर कहा जाता है और इस खीर को पूजा करने के बाद व्रत रखने वाले लोग खाते हैं और उसी रात छठ मैया के लिए चासनी, गेहूं का आटा और घी से बनाई मिठाई ठेकुआ प्रसाद के तौर पर बनते हैं।

दोस्तों छठ पूजा का तीसरा दिन होता है। संध्या अर्ध्य का यह तीसरा दिन छठ पूजा का मुख्य दिन है। इस दिन लोग निर्जल व्रत रखते हैं और फिर शाम में वो नदी या तालाब के पास इकट्ठा होकर डूबते सूरज को नमस्कार करते हैं। जब लोग सूर्य देवता को अर्ध्य देने के लिए जा रहे होते हैं तभी उनका बेटा या घर का कोई एक पुरुष एक बांस की बनी हुई टोकरी लेकर आगे चल रहा होता है, जिसे बहंगी कहते हैं। इस बांस की टोकरी यानी बहंगी में फल, प्रसाद और पूजा की बाकी सामग्री रखी जाती है।

अब दोस्तों अगर हम छठ पूजा के चौथे दिन के बारे में बात करें तो इस दिन को उषा अर्ध्य कहा जाता है जिसमें उगते सूरज की पूजा करते हैं। व्रत रखने वाले लोग अपने पूरे परिवार के साथ फिर से एक बार सूर्य देवता की पूजा करने के लिए नदी या तालाब के पास इकट्ठा होते हैं ताकि वह उगते सूरज की प्रार्थना कर सकें। छठ मैया को प्रसन्न करने के लिए उनके गीत गाते हैं और फिर अंत में व्रत रखने वाले लोग प्रसाद और कच्चे दूध के शरबत का सेवन करके अपने व्रत को तोड़ते हैं। और इस तरह से पूरे चार दिन के बाद छठ पूजा और उसके कठिन व्रत की समाप्ति होती है।

छठ पूजा के दौरान कुछ खास बातें

Why chatt puja is celebrated दोस्तों छठ पूजा के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना होता है क्योंकि अगर कोई गलती हो गई तो छठ माता नाराज हो जाती हैं। जिसमें सबसे पहली चीज तो यह है कि अगर आपके घर में छठ पूजा है तो ध्यान रखें कोई भी सामान बच्चे न छुएं। क्योंकि अगर बच्चे बिना हाथ धोए गंदे गंदे हाथों सामान छू लेते हैं, अगर सामान को गंदे हाथों छू लिया।

सामान को दोबारा इस्तेमाल न करें। पूजा में बनने वाला प्रसाद भी पहले नहीं देना चाहिए। Why chatt puja is celebrated इतना ही नहीं छठ पूजा के दौरान घर में किसी को भी अभद्र भाषा का प्रयोग या फिर लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए। इससे मन में नकारात्मक भावना आती है

और दोस्तों छठ के पर्व के दौरान पूरे दिनों तक व्रत रखने वाले व्यक्ति के साथ साथ पूरे परिवार को प्याज और लहसुन के साथ ही मांस मछली वगैरह जैसी किसी भी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए। छठ पूजा में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। किसी भी चीज को बिना हाथ धोए न छुएं। जो महिलाएं छठ मैया के व्रत रखती हैं, वह पूरे चार दिन पलंग या चारपाई पर भूलकर ना सोएं।

सूर्य देव को जल चढ़ाना इस व्रत का महत्व

दोस्तों सूर्य देव को जल चढ़ाना इस व्रत का महत्व है। लेकिन ध्यान रखें जल चढ़ाने के लिए चांदी या प्लास्टिक के बर्तन का इस्तेमाल न करें। छठ का प्रसाद बनाते समय व्रत रखने वाली महिलाओं को कुछ भी नहीं खाना चाहिए

और सबसे अहम बात यह है कि प्रसाद ऐसी जगह पर बनाना चाहिए जहां रोजमर्रा में खाना ना बनता हो। क्योंकि यह वाकई में बहुत परिश्रम वाला व्रत होता है जिसमें हर एक छोटी छोटी चीज का ध्यान रखा जाता है। छठ का व्रत रखने वालों को मांस मदिरा से दूर रखें। अगर वह या उनके घर में कोई भी इसका सेवन करता है तो छठ माता इससे नाराज होती हैं।

छठ पूजा के दिनों में फल नहीं खाना चाहिए। पूजा खत्म करने के बाद ही फलों का सेवन करना चाहिए। इन सारी बातों को सुनने के बाद आपको एक चीज का अंदाजा तो बखूबी हो गया होगा कि छठ पूजा करना कितना कठिन है। इसका व्रत रखना उससे ज्यादा कठिन है जिसे हर कोई नहीं कर पाता। लेकिन कोई भी इस व्रत को रखता है

तो उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। छठ मैया उससे खुश हो जाती है और उसके जीवन में सुख और समृद्धि आती है। तो दोस्तों उम्मीद है कि छठ पूजा के बारे में आपकी सारी जानकारियां हो गई होंगी। बाकी आप छठ पूजा मनाते या नहीं कॉमेंट बॉक्स में आकर बताएं।

छठ पुजा गीत सुने

chatt puja song

भारत की अर्थव्यवस्था

FAQ

  1. छठ पूजा क्या है?
    • छठ पूजा एक हिन्दू त्योहार है जो खासकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में मनाया जाता है। इसमें सूर्य और छठी माई (छठ माता) की पूजा की जाती है।
  2. छठ पूजा कब और कैसे मनाई जाती है?
    • छठ पूजा अक्टूबर और नवम्बर महीने में मनाई जाती है, चार दिनों तक। व्रती व्यक्ति नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पूजा करते हैं।
  3. छठ पूजा में कौन-कौन सी पूजा की जाती है?
    • छठ पूजा में व्रती व्यक्ति सूर्य देवता और छठी माई की पूजा करते हैं, जिन्हें दिनभर व्रत के बाद ही खाना बनाकर उन्हें अर्पित करते हैं।
  4. छठ पूजा के दिन कौन-कौन से रितुअल्स होते हैं?
    • छठ पूजा के दिन व्रती व्यक्ति सूर्योदय के समय सूर्य की पूजा करते हैं, और संगीत, गीत, और नृत्य के साथ छठी माई की पूजा करते हैं।
  5. छठ पूजा का महत्व क्या है?
    • छठ पूजा का महत्व है क्योंकि इसमें सूर्य और छठी माई की पूजा करने से भक्त आपत्तियों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं और उन्हें स्वस्थ और सुरक्षित जीवन मिलता है।
  6. छठ पूजा में उपयोग होने वाले सामग्री क्या होती है?
    • छठ पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री में गुड़, घी, दूध, फल, और दाना-मूंग का चावल शामिल होता है।
  7. छठ पूजा की कहानी क्या है?
    • छठ पूजा की कहानी में यह कहा गया है कि यह त्योहार महाभारत के काल में द्रोपदी ने रखा था, जिससे उन्हें अपनी संतानों की रक्षा हुई थी।
  8. छठ पूजा में गाने कौन-कौन से होते हैं?
    • छठ पूजा में विशेष गाने होते हैं जिन्हें छठी माई की पूजा के दौरान गाया जाता है, जो त्योहार को और भी अधिक आनंदमयी बनाते हैं।
  9. छठ पूजा के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
    • छठ पूजा के दौरान व्रती को सदा शुद्ध रहना चाहिए, और उन्हें प्राकृतिक सौंदर्य में बैठकर ध्यान करना चाहिए।
  10. छठ पूजा का व्रत किस प्रकार से तोड़ा जाता है?
    • छठ पूजा का व्रत व्रती व्यक्ति खाना बना कर उसे सूर्योदय के समय खाते हैं, और उसके बाद ही त्योहार का व्रत तोड़ा जाता है।
  11. Why chatt puja is celebrated ?
    • Chhath Puja is celebrated to honor the Sun God, Surya, and Chhathi Maiya, seeking their blessings for prosperity, well-being, and the fulfillment of wishes. It holds cultural significance in states like Bihar, Jharkhand, Uttar Pradesh, and Delhi, symbolizing gratitude towards nature and the divine.

Share This Article
Leave a comment