How RBI is saving India from Economic crisis ?: क्या है RBI ?

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Economic crisis


Economic crisis आज Pakistan economic crisis से गुजर रहा है। shrilanka bankruptcies है और यह financial crisis एशिया में धीरे धीरे फैल रहा। लेकिन भारत इससे सेफ क्यों? क्योंकि एक ऐसी गवर्नमेंट ऑर्गनाइजेशन है, जो हमें हर economic disaster से बचाने का काम करती है। हर सरकारी कंपनी कुछ ऐसी दिखती है – लेजी, कामचोर और करप्ट, जिनका एक ही काम होता है आम आदमी का पैसा खाओ और मौज बनाओ।इसीलिए कई सरकारी कंपनियां लॉस में चलती हैं, सिवाय एक के। यह एक ऐसी सरकारी एंटिटी है, जो थोड़ी बहुत नहीं, करोड़ों में कमाई करती है। इनफैक्ट पिछले एक साल में उन्होंने 2,00,000 करोड़ रुपए कमाए हैं। बात हो रही है आरबीआई की।

RBI तो सेंट्रल बैंक है। वह बैंकों को रेग्युलेट करता है और फॉरेन एक्सचेंज के रूल्स बनाता है तो आरबीआई पैसे कैसे कमाता है और इतनी सारी धनराशि का आरबीआई करता क्या है? आइए जानते हैं आज के इस ब्लॉग पोस्ट में ..

ये है हमारा ब्लॉग How RBI is saving India from economic crisis जहां हम भारत के उन मुद्दों पर बात करते हैं जिनके बारे में सोचते तो सब है लेकिन जवाब किसी के पास नहीं होते। अगर आपको इस पोस्ट से वैल्यू मिलती है तो शेयर करे। आपके लिए तो फ्री है लेकिन इससे हमारी बहुत हेल्प होती है।

Who is RBI?

RBI यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया। यह भारत का सेंट्रल बैंक है। 1935 में इसे प्राइवेट इंस्टीट्यूशन बनाया गया था, लेकिन 1 January 1949 में यह नेशनलाइज हो गया यानी सरकारी हो गया। RBI ministry of Finance के अंडर आता और वह भारत की मॉनिटरी पॉलिसी सेटअप करता है। हमारी मॉनेटरी पॉलिसी हमारे पैसे को कंट्रोल करती है। इकॉनमी में पैसा कैसे घूम रहा है, कितना प्रिंट हो रहा है, कितना देश के बाहर जा रहा है और कितना अंदर आ रहा, यह सारे डिसीजन आरबीआई लेता है।

Rbi work
Credit and financial inclusion
FINANCIAL MARKETS AND FOREN EXCHANGE
REGULATION AND FINANCIAL STABILITY
Public date management
monitory policy
Currency management

How RBI work?

  1. Monitory policy

आरबीआई का एक काम होता है ओवरऑल इकॉनमी की देखभाल करना। आरबीआई यह स्टडी करता है कि भारत में ओवरऑल इन्वेस्टमेंट ट्रेंड्स क्या है। प्राइवेट सेक्टर कहां पर पैसे लगा रहा है और गवर्नमेंट को कहां पर फोकस करना चाहिए। मोस्ट इम्पोर्टेन्ट इन्फ्लेशन यानी महंगाई का इकॉनमी पर क्या इंपैक्ट है? आरबीआई पैसों को कंट्रोल करके इन्फ्लेशन को कंट्रोल करता है।आरबीआई का टारगेट होता है कि इन्फ्लेशन 4 से 6 पर्सेंट के बीच में होना चाहिए और यह कैसे होगा। इसके लिए आरबीआई के पास अलग अलग टूल्स होते हैं,

जैसे CRR या SLR। कैश रिजर्व रेशो और स्टैच्यू ट्री लिक्विडिटी रेशो। सोचिए अगर एक बैंक के पास ₹100 है तो उन्हें साढ़े ₹4। आरबीआई के पास CRR और ₹18 SLR के तौर पर रखने पड़ते हैं। यानी उनकी लेंडिंग पावर ₹100 नहीं होती, उससे कम होती है। इससे होगा यह कि बैंकों के पास लोन देने के लिए पूरे के पूरे ₹100 available नहीं होंगे तो overall लोन देने का स्पीड और अमाउंट दोनों कम हो जाएगा।

यानी ग्रोथ भी स्लो डाउन हो जाएगी। लेकिन आरबीआई ग्रोथ को स्लोडाउन क्यों करना चाहती है?क्योंकि इससे इन्फ्लेशन रोकने में भी मदद होती है। इन्फ्लेशन कैसे काम करता है, यह दोनों रिजर्व रेशो एक तरह का सेफ्टी डिपॉजिट होता है, ताकि कोई भी बैंक सारे के सारे पैसे लोन देकर उड़ा न दे।

2. Credit and financial inclusion

दूसरा जॉब है क्रेडिट एंड फाइनेंशियल इनक्लूजन। आरबीआई का एक फोकस यह भी है कि भारत में बैंकिंग फैसिलिटीज पूरी पॉपुलेशन तक पहुंचे। पूरे पॉपुलेशन के पास एक बैंक अकाउंट हो। वह फिनटेक यानी फाइनैंशल टेक्नोलॉजी भी एक्सेस कर पाए। सेम टाइम आरबीआई यह भी देखता है कि जिन सेक्टर्स को क्रेडिट यानी लोन की आवश्यकता है, उन्हें वह लोन मिले। इसे प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग कहते हैं। इसमें यह कैटेगरीज एलिजिबल हैं। हर बैंक को फोर्टी परसेंट लोन प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग के एप्लीकेंट्स को देना ही पड़ता है।

3.FINANCIAL MARKETS AND FOREN EXCHANGE


फाइनेंशियल मार्केट्स और फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट। लास्ट ईयर न्यूज आई थी कि आरबीआई ने अनऑथराइज्ड फॉरेक्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर एक्शन ली। आरबीआई ने कई नोटिस भी इश्यू किए कि इन ट्रेडिंग प्लैटफॉर्म पर आप पैसे इन्वेस्ट न करें। यह रिस्की है। इसके अलावा आरबीआई रूल्स भी बनाता है कि फॉरेनर्स कितने पैसे भारत में इन्वेस्ट कर सकते हैं और यह भी डिसाइड करता है कि बैंक कौन से फॉरेन ट्रांजैक्शंस कर सकते हैं। बैंक्स फॉरेन करेंसी में कितने लोन ले सकते हैं,

यह भी आरबीआई डिसाइड करता है। हमें रूपी को इंटरनेशनल बनाना है या नहीं, उस पर भी आरबीआई फोकस करता। कौन से देश हमारी करंसी किस काम के लिए यूज कर सकते हैं, इसके बारे में डिसीजन आरबीआई लेता है।

4.REGULATION AND FINANCIAL STABILITY


रेग्युलेशन एंड फाइनेंशियल स्टेबिलिटी इस साल अमेरिका की सिलिकॉन वैली बैंक डूब गई। आरबीआई मॉनिटर करता रहता है कि भारत के बैंक्स ऐसे न डूबे और यह कैसे होगा। स्ट्रेस टेस्ट के साथ आपकी हेल्थ के लिए आप जिम जाते होंगे, जिससे आप कितने फिट है, यह पता चलता है। आरबीआई के स्ट्रेस टेस्ट मानों बैंक्स का जिम है, जहां बैंक्स की फिटनेस टेस्ट होती रहती है। यह बैंक्स की सेफ्टी के लिए ही होता है। इसी फंक्शन में आरबीआई ने ट्वेंटी ट्वेंटी टू में डिजिटल रुपी एक एक्सपेरिमेंट के फॉर्म में लॉन्च किया था। डिजिटल रुपी सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी इस पर हम फ्यूचर में एक ब्ज़लॉग जरूर बनाएंगे।

5.Public date management


अगला काम है पब्लिक डेट मैनेजमेंट। आरबीआई इज द बैंकर ऑफ द गवर्नमेंट। मतलब जब भी सेंटर या स्टेट को पैसे चाहिए, वह आरबीआई के पास जाते हैं। आरबीआई एश्योर करता है कि बॉरोअर का खर्चा कम हो, इन्वेस्टर का रिस्क मैनेज हो और भारत में बॉरोइंग की मार्केट डेवलप हो। आरबीएस स्‍टेट्स और सेंटर को उनके डेट मैनेजमेंट में मदद करता है। आरबीआई यह देखती है कि सरकार कितना पैसा कमा रही है, कितने खर्चे कर रही है

और जो भी लोन ले रही है उस पर जो इंटरेस्ट है वह पे कर सकती है या नहीं। आरबीआई भारत में इनवेस्टिंग डेवलप करने में मदद करती है। आरबीआई ने रीसेंटली रीटेल डायरेक्ट प्लैटफॉर्म लॉन्च किया, जहां से हम डायरेक्टली आरबीआई से गवर्नमेंट के बॉन्ड्स खरीद सकते हैं।

6. Currency management


करंसी मैनेजमेंट आरबीआई का एक इम्पोर्टेन्ट टास्क होता है करंसी मैनेज करना। बैंक्स के पास करंसी नोट्स का सप्लाय हो, इसकी रिस्पॉन्सिबिलिटी आरबीआई लेता है। आरबीआई भारत में नोट्स प्रिंट करता है और कोई भी मिंट करता है। आरबीआई यह भी ट्रैक रखता है कि एक टाइम पर इकॉनमी में कितने करंसी नोट सर्कुलेट हो रहे हैं।

यह करंसी मैनेजमेंट काफी इंटरेस्टिंग है। बैंक्स को आरबीआई के पास एक ऑर्डर प्लेस करना होता है कि उन्हें कितने नोट्स चाहिए और उन ऑर्डर्स के अकॉर्डिंग आरबीआई नोट्स प्रिंट करता है। लेकिन जब इतने सारे नोट्स हैं तो नए नोट्स प्रिंट करने की क्या जरूरत?

आपने नोटिस किया होगा कि टोर या फिर डर्टी नोट्स आप बैंक में जमा कर सकते हैं। बैंक से इन्हें एक्सेप्ट करते हैं और ये पैसे आपके अकाउंट में क्रेडिट होते हैं। लेकिन ऑन द बैक एंड टोर और सॉलिड नोट्स डिस्ट्रॉय होते हैं और इनकी जगह नए नोट्स प्रिंट होते हैं। क्वाइंस की बात अलग है। कॉइन्स बार बार मिंट नहीं होते क्योंकि

उन्हें डिस्ट्रॉय करना इतना ईजी नहीं होता और एग्जाम्पल इतने वैल्यू के इंडियन डर्टी नोट्स पिछले फाइनेंशियल ईयर में डिस्ट्रॉय हो गए थे। इनकी जगह इतने वैल्यू के नोट्स प्रिंट हुए थे। करंसी मैनेजमेंट में आरबीआई का एक और काम होता है काउंटर फेक करंसी को आइडेंटिफाई करना और उसका सर्क्युलेशन रोकना। 

7.Payment and sattlement


पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम्स। आपकी हर पेमेंट सिस्टम आरबीआई ने सेटअप की है। यूपीआई को हम सब जानते हैं, जिसे नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने बनाया है। उन्होंने आईएमपीएस यानी इमीडिएट पेमेंट सिस्टम और नैश और ईसीएस जैसे पेमेंट सिस्टम्स भी बनाए हैं। आरबीआई खुद भी पेमेंट सिस्टम्स मैनेज करता है।

एनईएफटी आरटीजीएस को आरबीआई मैनेज करता है। एक यूजर का पेमेंट सीमलेस होना ये काफी बड़ी रिस्पॉन्सिबिलिटी है। आरबीआई का एक पूरा डिपार्टमेंट फुल टाइम इसी पर फोकस करता है। सिमिलर ली भारत बिल पेमेंट सिस्टम, आधार बेस्ड पेमेंट्स, रूपे कार्ड, फास्ट ट्रैक ये सारी चीजें इस डिपार्टमेंट के अंडर आती रिसर्च स्टेटिस्टिक्स ।
आरबीआई कई रिसर्च स्टडीज़ कमिशन करता है और डिफरेंट टॉपिक्स रिलेटेड इंडियन इकॉनमी। इसकी रिपोर्ट आपको आरबीआई के वेबसाइट पर मिल जाएंगे।

RBI पैसे कैसे कमाता है?

जैसे बैंक आपको लोन देकर पैसा कमाते हैं, वैसे ही आरबीआई गवर्नमेंट को लोन देकर पैसा कमाता है। सपोस सेंटर्स स्टेट्स अलग अलग मुझसे पार्टीज को पैसों की जरूरत होती है तो वो बॉन्ड इश्यू करते हैं। ये बॉन्ड्स आरबीआई खरीदता है और इन बॉन्ड्स पर इंटरेस्ट कमाता है। इस टेबल में आपको वही दिख रहा है। आरबीआई ने सेंट्रल स्टेट्स के रुपी बॉन्ड से सिक्स हंड्रेड करोड़ रुपए का इंटरेस्ट इनकम कमाया।


आरबीआई सिर्फ भारत में ही नहीं, इंटरनेशनली भी पैसा लैंड करता है। इंटरनेशनल बॉन्ड्स खरीदता है। आरबीआई के पास इस साल मार्च के महीने में फाइव हंड्रेड बिलियन डॉलर्स के फॉरेक्स रिजर्व थे। अब इतना सारा पैसा अगर पड़ा रहेगा तो चढ़ जाएगा। आरबीआई उस पर भी इंटरेस्ट कमाता है।

आरबीआई अपने कुछ फॉरेक्स रिजर्व फॉरेन बैंक्स में रखता है।
मार्च में आरबीआई के पास 509 BILLION DOLLARS के इन्वेस्टमेंट थे। इसमें से 411 बिलियन डॉलर्स उन्होंने अलग अलग सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट किए हैं। जैसे यूएस ट्रेजरी के सिक्योरिटी सेवेन फाइव बिलियन डॉलर्स। उन्होंने अलग अलग सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के पास रखा है और 22 बिलियन डॉलर्स उन्होंने इंटरनेशनल बैंक्स में डिपॉजिट करके रखा है।

यूके द पॉइंट इन सारे फॉरेन एक्सचेंज इन्वेस्टमेंट पर भी आरबीआई पैसा कमाता है। पिछले फाइनेंशियल ईयर में आरबीआई ने इन फॉरेन इनवेस्टमेंट से 14099 करोड़ रुपए कमाए और फॉरेन बैंक डिपॉजिट से सिक्सटीन थाउजेंड हंड्रेड करोड़ रुपए कमाए। आरबीआई को बैंकों का बैंक कहते हैं। यानी अगर किसी बैंक को अर्जेंट पैसे बॉरो करने हैं तो वह आरबीआई की लिक्विडिटी अजस्टमेंट फैसिलिटी से पैसे बॉरो करते हैं।

लिक्विडिटी अजस्टमेंट फैसिलिटी में आरबीआई भी बैंकों से पैसे बॉरो करती है। यह फिगर आपको नेगेटिव दिख रहा होगा क्योंकि पिछले फाइनैंशल ईयर में आरबीआई ने बैंक्स को इंटरेस्ट पे किया। ऐसे ही अलग अलग फैसिलिटी प्रोवाइड करके आरबीआई पैसे कमाती है। चलिए बढ़ते हैं अदर इनकम की ओर। इस टेबल में बाकी अमाउंट काफी छोटे छोटे हैं, लेकिन एक अमाउंट काफी बड़ा है। 

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